Thursday, April 28, 2016

॥ सुवर्णमालास्तुती ॥

[Swarna Mala Stuti (The prayer of golden garland)  By Aadhi Shankara Bhagawat Pada] 





सुवर्णमालास्तुती

  
Note: Sanskrit lyrics for the audio in Red color
Youtube link: https://www.youtube.com/watch?v=27qkif-qlr8

अथ कथमपि मद्रसनां त्वद्गुणलेशैर्विशोधयामि विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्

आखण्डलमदखण्डनपण्डित तण्डुप्रिय चण्डीश विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्

इभचर्माम्बर शम्बररिपुवपुरपहरणोज्ज्वलनयन विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्
============================================

ईश गिरीश नरेश परेश महेश बिलेशय भूषण भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्

उमया दिव्यसुमङ्गलविग्रहयालिङ्गितवामाङ्ग विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्

ऊरीकुरु मामज्ञमनाथं दूरीकुरु मे दुरितं भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्

ऋषिवरमानसहंस चराचरजननस्थितिलयकारण भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्

ॠक्षाधीशकिरीट महोक्षारूढ विधृतरुद्राक्ष विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्

लृवर्णद्वन्द्वमवृन्तसुकुसुममिवाङ्घ्रौ तवार्पयामि विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्

एकं सदिति श्रुत्या त्वमेव सदसीत्युपास्महे मृड भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् १०

ऐक्यं निजभक्त्येभ्यो वितरसि विश्वम्भरोऽत्र साक्षी भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ११

ओमिति तव निर्देष्ट्री मायाऽस्माकं मृडोपकर्त्री भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् १२

औदास्यं स्फुटयति विषयेषु दिगम्बरता तवैव विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् १३

अन्तःकरणविशुद्धिं भक्तिं त्वयि सतीं प्रदेहि विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् १४

अस्तोपाधिसमस्तव्यस्तै रूपैर्जगन्मयोऽसि विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् १५

करुणावरुणालय मयि दास उदासस्तवोचितो हि भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् १६

खलसहवासं विघटय सतामेव सङ्गमनिशं भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् १७

गरलं जगदुपकृतये गिलितं भवता समोऽस्ति कोऽत्र विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् १८

घनसारगौरगात्र प्रचुरजटाजूटबद्धगङ्ग विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् १९

ज्ञप्तिः सर्वशरीरेष्वखण्डिता या विभाति सात्वं भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् २०

चपलं मम हृदयकपिं विषयद्रुचरं दृढं बधान विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् २१

छाया स्थाणोरपि तव पापं नमतां हरत्यहो शिव भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् २२

जय कैलासनिवास प्रमथगणाधीश भूसुरार्चित भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् २३

झणुतकझिङ्किणुझणुतत्किटतकशब्दैर्नटसि महानट भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् २४

ज्ञानं विक्षेपावृतिरहितं कुरु मे गुरूस्त्वमेव विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् २५

टङ्कारस्तव धनुषो दलयति हृदयं द्विपामशनिरिव भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् २६

ठाकृतिरिव तव माया बहिरन्तः शून्यरूपिणी खलु भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् २७

डम्बरमम्बुरुहामपि दलयत्यनघं त्वदङ्घ्रियुगलं भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् २८

ढक्काक्षसूत्रशूलद्रुहिणकरोटीसमुल्लसत्कर भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् २९

णाकारगर्भिणी चेच्छभदा ते शरणगतिर्नृणामिह भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ३०

तव मन्वतिसञ्जपतः सद्यस्तरति नरो हि भवाब्धिं भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ३१

थूत्कारस्तस्य मुखे भूयात्ते नाम नास्ति यस्य विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ३२

दयनीयश्च दयालुः कोऽस्ति मदन्यस्त्वदन्य इह वद भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ३३

धर्मस्थापनदक्ष त्र्यक्ष गुरो दक्षयज्ञशिक्षक भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ३४

ननुताडितोऽसि धनुषा लुब्धधिया त्वं पुरा नरेण विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ३५

परिमातुं तव मूर्तिं नालमजस्तत्परात्परोऽसि विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ३६

फलमिह नृतया जनुषस्त्वत्पदसेवा सनातनेश विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ३७

बलमारोग्यं चायुस्त्वद्गुणरुचितां चिरं प्रदेहि विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ३८

भगवन् भर्ग भयापह भूतपते भूतिभूषिताङ्ग विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ३९

महिमा तव नहि माति श्रुतिषु हिमानीधरात्मजाधव भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ४०

यमनियमादिभिरङ्गैर्यमिनो हृदये भजन्ति त्वं भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ४१

रज्जावहिरिव शुक्तौ रजतमिव त्वयि जगन्ति भान्ति विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ४२

लब्ध्वा भवत्प्रसादाच्चक्रं  विधुरवति लोकमखिलं भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ४३

वसुधातद्धरच्छयरथमौर्वीशरपराकृतासुर भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ४४

शर्व देव सर्वोत्तम सर्वद दुर्वत्तगर्वहरण विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ४५

षड्रिपुषडूर्मिषड्विकारहर सन्मुख षण्मुखजनक विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ४६

सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्मेत्येतल्लक्षणलक्षित भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ४७

हाहाहूहूमुखसुरगायकगीतापदानवद्य विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ४८

ळादिर्न हि प्रयोगस्तदन्तमिह मङ्गलं सदाऽस्तु विभो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ४९

क्षणमिव दिवसान्नेष्यति त्वत्पदसेवाक्षणोत्सुकः शिव भो
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ५०

इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यश्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य
श्रीशङ्करभगवतः कृतौ सुवर्णमालास्तुतिः सम्पूर्णा